बीएचयू में एनईपी 2020 का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन
एनईपी 2020 के 3 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर बीएचयू और आईआईटी बीएचयू अब तक की उपलब्धियों की चर्चा की बीएचयू में एनईपी की परिकल्पना के अनुसार अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को विनियमित किया नई पहलों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में बीएचयू के प्रयासों को दी गति
बीएचयू में एनईपी 2020 का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन
एनईपी 2020 के 3 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर बीएचयू और आईआईटी बीएचयू अब तक की उपलब्धियों की चर्चा की
बीएचयू में एनईपी की परिकल्पना के अनुसार अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को विनियमित किया
नई पहलों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में बीएचयू के प्रयासों को दी गति
21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल व्यापक रूप से आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लचीली, बहु-विषयक शिक्षा के माध्यम से भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में परिवर्तित करने का उद्देश्य रखती है। यह प्रत्येक छात्र की विशिष्ट क्षमताओं को सामने लाने पर ध्यान केन्द्रित करती है।
एनईपी के 3 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इसके क्रियान्वयन और अब तक की उपलब्धियों को लेकर बीएचयू और आईटी बीएचयू के संयुक्त तत्वाधान में एक प्रेस वार्ता का आयोजन बुधवार को किया गया।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, रेक्टर, प्रो. वी.के. शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय ने तत्परता से इस संबंध में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया।
उन्होंने बताया कि इसके कार्यान्वयन की सुचारू और त्वरित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन द्वारा वर्ष 2023 में उक्त समिति का पुनर्गठन किया गया।
कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने एनईपी की परिकल्पना के अनुसार अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को विनियमित किया है।
प्रोफेसर सिंह ने बताया “हमने एबीसी पोर्टल पर छात्रों की उत्साहजनक संख्या में पंजीकरण सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया हैं।
सत्र 2021-22 के दौरान एबीसी पोर्टल पर कुल 14900 पंजीकरण और सत्र 2022-23 के दौरान 15722 पंजीकरण हुए हैं।” कुलसचिव ने बताया कि नए प्रवेशार्थियों को अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय के पोर्टल पर ऑनलाइन नामांकन फॉर्म/परीक्षा फॉर्म भरते समय एबीसी का उल्लेख करने की सलाह दी जाती है।
एनईपी कार्यान्वयन समिति के वरिष्ठतम सदस्य प्रो. मुकुल राज मेहता, दर्शनशास्त्र विभाग, कला संकाय, ने इस संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध किया।
उन्होंने कहा कि बीएचयू ने एनईपी के हिस्से के रूप में विभिन्न सुधारात्मक उपाय करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति बनाई है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय चार वर्षीय स्नातक या एकीकृत डिग्री कार्यक्रमों को लागू करने के लिए आवश्यक समस्त संरचनात्मक तौर-तरीकों को पूरा करने के करीब है। प्रोफेसर मेहता ने कहा, “तीन साल की
डिग्री प्रारूप से चार साल की प्रणाली में परिवर्तन के लिए काफी तैयारिया व बदलाव की आवश्यकता होती है, विशेषकर बीएचयू जैसे संस्थान में, जो विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करता है।
संस्थान, संकाय या विभाग स्तर विभिन्न समितियों ने चुनौतियों, जरूरतों और परिवर्तनों पर ध्यान दिया है।" उन्होंने बताया, हमें उम्मीद है कि हम अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2024-25 से चार साल के कार्यक्रम को लागू करने के लिए तैयार होंगे। उन्होंने बताया कि वोकेशनल कोर्सेस में मल्टी लेवल एंट्री व एक्ज़िट लागू किया जा चुका है।
आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रमोद कुमार जैन ने खा कि आईआईटी (बीएचयू) ने इस नीति के क्रियावन्यन के माध्यम से व्यापक शैक्षिक सुधारों की योजना बनाई है।
संयुक्त डिग्री के रूप में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ अकादमिक सहयोग सहित कुछ प्रमुख निर्णय पहले ही लागू किए जा चुके हैं। इस उद्देश्य के लिए गठित एक आंतरिक समिति ने एनईपी-2020 के मुख्य स्तंभों पर विचार करते हुए अकादमिक परिवर्तन के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है,
अर्थात छात्रों को एकाधिक प्रवेश और निकास, बहु-विषयक और बहुविकल्प, क्रेडिट ट्रांसफर आदि जैसे विकल्पों के माध्यम से समावेशी शिक्षा और कैरियर प्रबंधन के माध्यम से सशक्त बनाना है।
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